Thursday 26 July 2012


सरहद पार पाकिस्तान में और इधर हिन्दुस्तान में रहने वाले कुछ लोग अब भी दिल से दुआ करते हैं, की ये सरहदें ख़त्म हो जायें...........

खोया है, लोगों ने, कुछ इधर भी उधर भी;
बिखरी कुछ जिंदगी है, इधर भी उधर भी.

है ज़रा सी दूरियाँ बस सरहदों की;
दिल तो एक जैसा है, इधर भी उधर भी.

माना चोट बरसों पुरानी थी लगी;
दिल में उठती टीश है, इधर भी उधर भी.

वक्त के पत्थरों पर जो लिख गया;
इबारतें दिल मे खुदीं हैं, इधर भी उधर भी.

बिछड़ों से मिलने की चाहते जो जिंदा हैं;
सीने में एक तड़प है, इधर भी उधर भी.

2 comments:

जीवन सफ़र

 सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र  रास्तों के काँटे अपने  अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...